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बीए सेमेस्टर-2 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2722
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-2 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन - सरल प्रश्नोत्तर

 

अध्याय - 5
सैन्य संगठन एवं सल्तनत काल की सैन्य पद्धति
अलाउद्दीन खिलजी के विशेष सन्दर्भ में
(Military Organisation and Pattern of Warfare during the Sultanate
Period with Particular Reference to Ala-uddin Khilji)

प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के सैन्य संगठन और युद्ध कला पर प्रकाश डालिए। बलबन तथा अलाउद्दीन के सैन्य सुधारों की व्याख्या कीजिए।

अथवा
दिल्ली सल्तनत की सैन्य पद्धति की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
अथवा
तुर्क सैन्य व्यवस्था की विवेचना कीजिए।
अथवा
तुर्की युद्ध कला का वर्णन कीजिए।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. बलबन ने क्या सैन्य सुधार किये?
2. अलाउद्दीन के सैन्य एवं आर्थिक सुधारों की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
3. अलाउद्दीन खिलजी के सैन्य सुधारों का वर्णन कीजिए।

उत्तर -

तुर्क / दिल्ली सल्तनत की सैन्य पद्धति
(Military System of the Delhi Sultanat/Turk)

पृष्ठभूमि - तराइन के द्वितीय युद्ध ( 1192 ई०) में मुहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज को हरा कर भारत में मुस्लिम शासन की स्थापना की दिल्ली पर 1206 ई० में कुतूबुद्दीन ऐबक के शासनकाल में तुर्की साम्राज्य स्थापित हो गया। तुर्क साम्राज्य का अन्त 1526 ई० में पानीपत की लड़ाई में इब्राहिम लोदी के बाबर द्वारा पराजित होने पर हुआ। इस काल को 'देहली सल्तनत काल भी कहते हैं। दिल्ली के सुल्तान शक्ति के आधार पर ही अपनी सत्ता कायम रख सकते थे। इसी कारण उन्हें बड़ी-बड़ी सेनायें रखनी पड़ती थीं।

1. सेना के प्रकार - इस काल की सेना मुख्य रूप से दो प्रकार की थीं.

(क) स्थायी सेना - इस सेना के द्वारा राज्य के आन्तरिक विद्रोहों व शत्रु आक्रमण से राज्य की
सुरक्षा के लिए किया जाता था। स्थायी सेना भी दो प्रकार की होती थीं

(i) सुल्तान की सेवा में नियुक्त स्थायी सैनिक.
(ii) प्रान्तीय शासकों तथा प्रान्त के सामन्तों की सेवा में नियुक्त स्थायी सैनिक।

(i) सुल्तानीय सेना - जो सैनिक दिल्ली में रहते थे वे सुल्तान की सेवा में नियुक्त समझे जाते थे और उन्हें हश्म-ए-कल्ब कहते थे। सुल्तान के निजी सैनिकों को 'खसांह खेल' कहते थे। सैनिकों की भर्ती नियंत्रण, अनुशासन आदि का उत्तरदायित्व 'आरिज-ए-मुमालिक' नामक अधिकारी का होता था।

(ii) प्रान्तीय सेना - प्रान्तीय शासकों तथा सामन्तों के पास जो सेना होती थी इसकी भर्ती, संगठन, वेतन आदि का उत्तरदायित्व अरिज' नामक अधिकारी के ऊपर होता था। प्रान्तों में रहने वाली सेना को 'हश्में अतराफ' कहते थे।

(ख) अस्थायी सेना लड़ाई के समय सुल्तानीय तथा प्रान्तीय सेना के अतिरिक्त नकद वेतन देकर तथा लूट के माल में हिस्से का प्रलोभन देकर बहुत से लोगों को भर्ती किया जाता था। जब कभी किसी सुल्तान को किसी हिन्दू राजा पर आक्रमण करना होता था तो वह 'जेहाद' के नाम पर मुस्लिम नवयुवकों को भड़का कर सेना में भर्ती किया जाता था। अस्थाई सेना को 'गैर वजीह' कहते थे।

2. सेना के अंग - तुर्क अफगान सल्तनत काल में निम्नलिखित तीन प्रकार की सेनायें थीं-

(i) घुड़सवार सेना (Cavatry) - घुड़सवार सेना को सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना जाता था और सेना की वास्तविक शक्ति घुड़सवार सेना पर आधारित समझी जाती थी। जिसके पास एक घोड़ा होता था उसे 'सवार' तथा जिसके पास दो घोड़े होते थे उसे 'मुस्तब' कहते थे। अच्छी नस्ल के घोड़ों को अरब, तुर्किस्तान तथा कभी-कभी रूस से भी मंगाया जाता था। सुल्तान के अस्तबल में घोड़ों की संख्या बढ़ती रहती थी।

(ii) गज सेना - सुल्तान घोड़ों के बाद हाथियों को बहुत महत्व देते थे। मोहम्मद बिन तुगलक की सेना में 3000 हाथी थे। हाथियों के अध्यक्ष को 'शहन-ए-फील' कहा जाता था। इन हाथियों का प्रयोग भार ढोने तथा विशाल दुर्गों को तोड़ने और युद्ध स्थल में शत्रु सेना को कुचलने के लिए किया जाता था।

(iii) पैदल सेना - पैदल सैनिकों को 'पायक' कहा जाता था। पैदल सेना को अधिक महत्व नहीं दिया जाता था। इस सेना में प्रायः भारतीय मुसलमान, हिन्दू तथा गुलाम होते थे। आमने-सामने की लड़ाई में पैदल सैनिकों का ही प्रयोग किया जाता था

3. अस्त्र-शस्त्र तथा कवच - प्रत्येक अश्वारोही के पास दो तलवारें, एक छुरा तथा धनुष-बाण होते थे। कभी-कभी वे अपने साथ गदा भी ले जाते थे। सुरक्षा कारणों से अश्वारोही सैनिक कवच पहनते थे तथा उनके घोड़ों के मर्म स्थलों पर भी लोहे या चमड़े का कवच रहता।

हाथी की पीठ पर एक हौदा लगा होता था, जिसमें कई सशस्त्र योद्धा बैठ सकते थे। हाथियों के शरीर को भी सुरक्षा की दृष्टि से लोहे की जाली या चादरों के द्वारा ढाका जाता था। हाथी की सूड़ पर भी लोहे का कवच चढ़ाया जाता था। पैदल सेना के मुख्य हथियार धनुष-बाण, भाले आदि होते थे। यद्यपि इस काल में तोपखाना नहीं था, तथापि कुछ ऐसे शस्त्रों का प्रयोग किया जाता था जिनसे आग लगाई जा सके। मन्जीक अथवा मन्गॉनल तथा मनगॉन नामक ऐसी मशीनें थीं जिनके द्वारा पत्थर, लोहे के भाले, आग लगाने वाले भाले फेंके जाते थे।

4. सैन्य संगठन - सुल्तानों का सैन्य संगठन 'दशक' के आधार पर होता था, अर्थात् दस गुड़सवारों की सबसे छोटी यूनिट होती थी। इस यूनिट (Unit) का कमाण्डर 'सर-ए-खैल' कहलाता था। दस 'सर-ए-खैल' के बाद एक सिपहसलार' नामक अधिकारी होता था। दस सिपहसलारों के ऊपर एक अमीर' और इसी प्रकार दस अमीरों के ऊपर एक 'मालिक' होता था और अन्त में 'खान' नाम का अधिकारी होता था जिसके अधीन में दस मालिक होते थे। सुल्तान स्वयं सल्तनत की समस्त सेना का अध्यक्ष होता था और उसकी सहायता हेतु महकमे का एक वजीर (मंत्री) जिसे दीवाने आरिज' कहते थे होता था।

सैनिकों को बहुत अच्छा वेतन मिलता था। जागीर के रूप में भी वेतन का भुगतान किया जाता था, परन्तु घोड़े और हथियार आदि का बन्दोबस्त सैनिकों को खुद अपने वेतन से ही करना पड़ता था। सैनिकों को युद्ध के समय राज्य की ओर से निःशुल्क भोजन, वस्त्र आदि दिया जाता था। 'गैर वजीह' (अस्थाई सैनिकों) को खजानों से वेतन का भुगतान कर दिया जाता था।

5. सैन्य प्रशिक्षण इस काल में सेना के सामूहिक प्रशिक्षण के कोई ठोस प्रमाण नहीं मिले हैं लेकिन कभी-कभी शिकार के समय सेना को ले जाकर थोड़ा सा अभ्यास कराने का प्रमाण मिलता है। यह प्रशिक्षण युद्ध के समय भी काम आता था। इस काल में गुप्तचर व्यवस्था के होने के प्रमाण भी प्राप्त हुए हैं।

6. युद्धनीति एवं सामरिकी युद्ध नीति एवं सामरिकी में सुल्तान निपुण थे। विजय प्राप्त करने के लिए वे सभी प्रकार की उचित अथवा अनुचित विधियों झूठ, कपट, छल आदि का खुलकर प्रयोग करते थे। शत्रु को मैत्री सम्बन्धी प्रस्ताव भेजकर उस पर अचानक आक्रमण करना उनकी कूटनीति का एक अंग था।

सेना को युद्ध क्षेत्र में लगाने से पूर्व युद्ध स्थल का सूक्ष्म निरीक्षण किया जाता था। भौगोलिक स्थिति को देखकर युद्ध क्षेत्र का चयन किया जाता था। सेना को पाँच मुख्य भागों में बांटा गया था -

(1) अग्रगामी गारद
(2) मध्य भाग
(3) दायाँ भाग
(4) बायां भाग
(5) पृष्ठ गारद

हाथियों को सबसे आगे खड़ा किया जाता था इनके पीछे सशस्त्र पैदल सैनिक रहते थे। सुल्तान अथवा मुख्य सेनानायक सदैव मध्य में रहकर सैन्य संचालन करता था। गुप्तचरों का इन्तजाम भी इस सेना में रहता था जिनका कार्य शत्रु पक्ष की जानकारी देना होता था।

बलबन के सैन्य सुधार

यह निम्न प्रकार है-

1. बलबन ने जागीरदारी प्रथा को समाप्त करवा कर विधवाओं और यतीम बच्चों को पेन्शन बांधने का आदेश दिया।

2. बलवन ने सेना के लिए एक बहुत कुशल अधिकारी को नियुक्त किया जिसके कारण सैनिकों की भर्ती, अस्त्र-शस्त्र, साज-सामान तथा अनुशासन में बहुत सुधार हुआ।

3. बलबन ने घोड़ों पर दाग लगाने की प्रथा का प्रारम्भ किया जिससे सैनिक जांच-पड़ताल के समय धोखा न दे सके।

4. बलबन ने शत्रु से सुरक्षा के लिए देहली के उत्तरी पश्चिम सीमा पर बहुत से मजबूत किल का निर्माण करवाया और इन किलों में बहुत ही योग्य सैनिकों व अफसरों को रखा।

5. आन्तरिक विद्रोह को खत्म करने के लिए बलबन ने बड़े सख्त कदम उठाये उसने विद्रोहियों को निर्दयता से कत्ल कर डाला ताकि भविष्य में कोई विद्रोह करने की न सोचे।

6. बलबन ने अपनी सेना को युद्ध अभ्यास कराने के लिए साप्ताहिक शिकार का आयोजन किया इस शिकार के बहाने वह अपनी सेना को युद्ध का प्रशिक्षण भी दे रहा था।

7. सेना का पुनर्गठन सैनिकों की स्वामी भक्ति तथा योग्यता को देखकर किया।

इस प्रकार और भी कई अन्य तरीकों से बल्बन ने अपनी सेना में बहुत सुधार कर लिये।

अलाउद्दीन के सैन्य सुधार

यह निम्न प्रकार है-

बलबन के पश्चात् अलाउद्दीन खिलजी ने सेना को और अधिक कार्य कुशल बनाने की ओर ध्यान दिया। वह पहला सुल्तान था जिसने स्थाई सेना की नींव डाली। उसकी सेना में 4,75,000 घुड़सवार तथा लाखों पैदल सैनिक थे। अलाउद्दीन ने अपनी सेना को और अधिक अच्छा और अनुशासित बनाने के लिए बहुत ध्यान दिया और निम्नलिखित सैन्य सुधार किये -

1. सैनिकों को राज्य ही की ओर से अस्त्र-शस्त्र तथा घोड़े आदि देने की व्यवस्था की।

2. उसने दीवान-ए-आरिज के रजिस्टर में सैनिकों का हुलिया लिखने तथा घोड़ों पर दाग लगाने की प्रथा लागू की ताकि सैनिक अपने स्थान पर दूसरे को व अच्छे घोड़े के स्थान पर खराब घोड़ों को न भेज सके।

3. सैनिकों को जागीर द्वारा वेतन व्यवस्था के स्थान पर नकद वेतन देना आरम्भ कर दिया। 4. अलाउद्दीन ने सिन्ध और मुल्तान के पुराने किलों की मरम्मत करवाई व नये दुर्गों का निर्माण करवाया तथा उन किलों में शक्तिशाली सेना को रखा।

अलाउद्दीन खिलजी के इन सैन्य सुधारों के फलस्वरूप सेना में अनुशासन स्थापित हो गया था तथा सैन्य संगठन का स्वरूप बहुत अच्छा हो गया।

निष्कर्ष - दिल्ली सल्तनत का सैन्य संगठन बहुत विशाल तथा सुव्यवस्थित था। दिल्ली सल्तनत की सैन्य पद्धति का मुकाबला संपूर्ण भारतवर्ष में कोई नहीं कर सकता था। दिल्ली सल्तनत के विस्तार में बलबन तथा अलाउद्दीन खिलजी ने महत्वपूर्ण योगदान दिया था। उन्होंने दिल्ली सल्तनत के सैन्य पद्धति में अनेकों महत्वपूर्ण सुधार किये। उन्होंने जागीरदारी प्रथा का अन्त किया तथा नकद वेतन देना प्रारम्भ किया। इस प्रकार कई अन्य सुधारों से बल्बन और अलाउद्दीन खिलजी ने दिल्ली सल्तनत के सैन्य संगठन की शक्ति में और अधिक वृद्धि की। इस सल्तनत का अन्त मुगल सम्राट बाबर ने 1526 ई० में पानीपत के युद्ध में इब्राहीम लोदी को हरा कर किया।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- वैदिककालीन सैन्य पद्धति एवं युद्धकला का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- महाकाव्य एवं पुराणकालीन सैन्य पद्धति पर प्रकाश डालिए।
  3. प्रश्न- प्राचीन भारत में गुप्तचर व्यवस्था पर प्रकाश डालते हुए गुप्तचरों के प्रकार तथा कर्मों का उल्लेख कीजिए।
  4. प्रश्न- राजदूतों के कर्त्तव्यों का विशेष उल्लेख करते हुए प्राचीन भारत की युद्ध कूटनीति पर एक निबन्ध लिखिये।
  5. प्रश्न- समय और कालानुकूल कुरुक्षेत्र के युद्ध की अपेक्षा रामायण का युद्ध तुलनात्मक रूप से सीमित व स्थानीय था। कुरुक्षेत्र के युद्ध को तुलनात्मक रूप में सम्पूर्ण और 'असीमित' रूप देने में राजनैतिक तथा सैन्य धारणाओं ने क्या सहयोग दिया? समीक्षा कीजिए।
  6. प्रश्न- वैदिक कालीन "दस राजाओं के युद्ध" का वर्णन कीजिये।
  7. प्रश्न- वैदिकयुगीन दुर्गों के वर्गीकरण का वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- वैदिककालीन सैन्य संगठन पर प्रकाश डालिये।
  9. प्रश्न- सैन्य पद्धति का क्या अर्थ है?
  10. प्रश्न- भारतीय सैन्य पद्धति के अध्ययन के स्रोत कौन-कौन से हैं?
  11. प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्धों के वास्तविक कारण क्या होते थे?
  12. प्रश्न- पौराणिक काल के अष्टांग बलों के नाम लिखिये।
  13. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास में कितने प्रकार के राजदूतों का उल्लेख है? मात्र नाम लिखिये।
  14. प्रश्न- धनुर्वेद के अनुसार आयुधों के वर्गीकरण पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  15. प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्ध के कौन-कौन से नियम होते थे?
  16. प्रश्न- महाकाव्यकालीन युद्ध के प्रकार एवं नियमों की विवेचना कीजिए।
  17. प्रश्न- वैदिक काल के रण वाद्य यन्त्रों के बारे में लिखिये।
  18. प्रश्न- वैदिककालीन दस राजाओं के युद्ध का क्या परिणाम हुआ?
  19. प्रश्न- पौराणिक काल में युद्धों के क्या कारण थे?
  20. प्रश्न- वैदिक काल की रथ सेना का वर्णन कीजिए।
  21. प्रश्न- प्राचीन काल में अश्व सेना के कार्यों की व्याख्या कीजिए।
  22. प्रश्न- प्राचीन भारत में राजूदतों के कार्यों की व्याख्या कीजिए।
  23. प्रश्न- प्राचीन भारतीय सेना के युद्ध के नियमों को बताइये।
  24. प्रश्न- किन्हीं तीन प्रकार के प्राचीन हथियार एवं दो प्रकार के कवचों के नाम लिखिए।
  25. प्रश्न- धर्म युद्ध से आप क्या समझते हैं?
  26. प्रश्न- किलों पर विजय प्राप्त करने की विधियों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  27. प्रश्न- झेलम के संग्राम (326 ई.पू.) में पोरस की पराजय के कारणों का वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- झेलम के संग्राम से क्या सैन्य शिक्षाएं प्राप्त हुई?
  29. प्रश्न- झेलम के संग्राम के समय भारत की यौद्धिक स्थिति का उल्लेख कीजिए।
  30. प्रश्न- सिकन्दर की आक्रमण की योजना की समीक्षा करो।
  31. प्रश्न- पोरस तथा सिकन्दर की सैन्य शक्ति की तुलनात्मक विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  32. प्रश्न- सिकन्दर तथा पुरू की सेना का युद्ध किस रूप में प्रारम्भ हुआ?
  33. प्रश्न- सिकन्दर तथा पोरस की सेना को कितनी क्षति उठानी पड़ी?
  34. प्रश्न- कौटिल्य के अर्थशास्त्र में वर्णित सैन्य पद्धति पर प्रकाश डालिए।
  35. प्रश्न- कौटिल्य के अनुसार मौर्यकालीन युद्ध कला एवं सैन्य संगठन की व्याख्या कीजिए।
  36. प्रश्न- कौटिल्य कौन था? उसकी पुस्तक का नाम लिखिए।
  37. प्रश्न- कौटिल्य द्वारा वर्णित सैन्य बलों की श्रेणियां लिखिये।
  38. प्रश्न- कौटिल्य ने अर्थशास्त्र में कितने प्रकार के राजदूतों का वर्णन किया है
  39. प्रश्न- कौटिल्य के सैन्य संगठन सम्बन्धी विचार प्रकट कीजिए।
  40. प्रश्न- कौटिल्य के व्यूहरचना (Tactical Formatic) सम्बन्धी विचारों का उल्लेख कीजिए।
  41. प्रश्न- कौटिल्य के द्वारा बताये गये दुगों का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- कौटिल्य ने युद्ध संचालन के लिए कौन-कौन से विभागों का वर्णन किया है?
  43. प्रश्न- कौटिल्य द्वारा बताये गये गुप्तचरों के रूप लिखिए।
  44. प्रश्न- राजपूत सैन्य पद्धति और युद्धकला पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
  45. प्रश्न- तराइन के द्वितीय संग्राम (1192 ई०) का वर्णन कीजिए। हमें इस युद्ध से क्या शिक्षाएँ मिलती हैं?
  46. प्रश्न- तराइन के दूसरे युद्ध ( 1192 ई०) में राजपूतों की पराजय तथा मुसलमानों की विजय के क्या कारण थे?
  47. प्रश्न- तराइन के युद्ध की सैन्य शिक्षाओं का वर्णन कीजिए।
  48. प्रश्न- राजपूतों के गुणों की व्याख्या कीजिए।
  49. प्रश्न- "राजपूतों में दुर्गुणों का भी अभाव न था।" इस कथन को साबित कीजिए।
  50. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के सैन्य संगठन और युद्ध कला पर प्रकाश डालिए। बलबन तथा अलाउद्दीन के सैन्य सुधारों की व्याख्या कीजिए।
  51. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के पतन के कारणों की समीक्षा कीजिए।
  52. प्रश्न- मुगल काल में अश्वारोही सैनिक कितने प्रकार के होते थे?
  53. प्रश्न- तोप और अश्वारोही सेना मुगलकालीन सेना के मुख्य सेनांग थे जिनके ऊपर उन्हें विजय प्राप्त करने का विश्वास था। विवेचना कीजिए।
  54. प्रश्न- आघात समरतंत्र (Shock Tactics) क्या है?
  55. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत की सैन्य व्यवस्था तथा विस्तार पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  56. प्रश्न- मुगल स्त्रातजी तथा सामरिकी का वर्णन कीजिए।
  57. प्रश्न- 1526 ई० में पानीपत के प्रथम संग्राम का सचित्र वर्णन कीजिए।
  58. प्रश्न- मुगलों की सेना में कितने प्रकार के सैनिक थे?
  59. प्रश्न- मुगल सैन्य पद्धति के पतन के क्या कारण थे?
  60. प्रश्न- सेना के वह मुख्य भाग क्या थे? जिन पर मुगलों की विजय आधारित थी? वर्णन कीजिए।
  61. प्रश्न- मुगल तोपखाने पर संक्षेप में लिखिये।
  62. प्रश्न- युद्ध क्षेत्र में मुगल सेना की रचना का वर्णन कीजिए।
  63. प्रश्न- मुगल काल में अश्वारोही सैनिक कितने प्रकार के होते थे?
  64. प्रश्न- तोप और अश्वारोही सेना मुगलकालीन सेना के मुख्य सेनांग थे जिनके ऊपर उन्हें विजय प्राप्त करने का विश्वास था। विवेचना कीजिए।
  65. प्रश्न- खानवा की लड़ाई (1527 ई०) का सचित्र वर्णन कीजिए।
  66. प्रश्न- राजपूतों की असफलता के क्या कारण थे?
  67. प्रश्न- राजपूतों की युद्ध कला पर संक्षेप में लिखिये।
  68. प्रश्न- राजपूतों का सैन्य संगठन कैसा था?
  69. प्रश्न- राजपूतों के गुणों की व्याख्या कीजिए।
  70. प्रश्न- राजपूतों में दुर्गणों का भी अभाव न था। इस कथन को साबित करिये।
  71. प्रश्न- तराइन के दूसरे युद्ध (1192 ई.) में राजपूतों की पराजय तथा मुसलमानों की विजय के क्या कारण थे?
  72. प्रश्न- 1527 ई० की खानवा की लड़ाई में राजपूतों और मुगलों की तुलनात्मक सैन्य शक्ति का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- 17वीं शताब्दी में मराठा शक्ति के उत्कर्ष के कारणों का उल्लेख कीजिए।
  74. प्रश्न- मराठा सैन्य पद्धति का वर्णन कीजिए।
  75. प्रश्न- मराठा सेनाओं की युद्ध कला एवं संगठन का विवरण दीजिए।
  76. प्रश्न- पानीपत के तीसरे संग्राम (1761 ई०) का सचित्र वर्णन कीजिए।
  77. प्रश्न- मराठा शक्ति के उदय पर प्रकाश डालिए।
  78. प्रश्न- शिवाजी के समय मराठों का सैन्य संगठन का उल्लेख कीजिए।
  79. प्रश्न- मराठों की युद्धकला पर प्रकाश डालिए।
  80. प्रश्न- मराठा सैनिकों के सैन्य गुणों को बताइये।
  81. प्रश्न- शिवाजी के सैन्य गुणों का उल्लेख कीजिए।
  82. प्रश्न- पानीपत के तृतीय युद्ध ( 1761 ई०) में मराठों और अफगानों की सैन्य शक्ति का उल्लेख कीजिए।
  83. प्रश्न- पानीपत के तृतीय युद्ध का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  84. प्रश्न- पानीपत के तीसरे युद्ध (1761 ई.) में मराठों की पराजय के प्रमुख कारण लिखिए।
  85. प्रश्न- सिक्ख सैन्य पद्धति, युद्ध कला तथा संगठन का पूर्ण विवरण दीजिए।
  86. प्रश्न- रणजीत सिंह के पूर्व सिक्ख सैन्य पद्धति की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  87. प्रश्न- "रणजीत सिंह भारत का गुस्तावस एडोल्फस माना जाता है। इस कथन के संदर्भ में रणजीत सिंह द्वारा सिक्ख सेना के किये गये विभिन्न सुधारों का वर्णन कीजिए।
  88. प्रश्न- सोबरांव के संग्राम (1864 ई०) का वर्णन करते हुए सिक्ख सेना की पराजय के कारण बताइये।
  89. प्रश्न- दल खालसा पर टिप्पणी लिखिए।
  90. प्रश्न- सिक्ख सैन्य संगठन पर प्रकाश डालिए।
  91. प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह ने सिक्खों को सैनिक क्षेत्र में क्या योगदान दिये?
  92. प्रश्न- सिक्खों के सेनांग का वर्णन कीजिए।
  93. प्रश्न- रणजीत सिंह से पूर्व सिक्खों के समरतंत्र पर प्रकाश डालिए।
  94. प्रश्न- खालसा युद्ध कला पर लिखिये।
  95. प्रश्न- महाराजा रणजीत सिंह के तोपखाने का वर्णन कीजिए।
  96. प्रश्न- रणजीत सिंह ने सेना में क्या-क्या सुधार किये?
  97. प्रश्न- सोबरांव के युद्ध (1846) में सिक्खों की मोर्चे बन्दी का वर्णन कीजिए।
  98. प्रश्न- सोबरांव के युद्ध में सिक्खों की पराजय के क्या कारण थे?
  99. प्रश्न- सिक्ख दल खालसा का युद्ध के समय क्या महत्व था?
  100. प्रश्न- ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सैन्य पद्धति का वर्णन कीजिए तथा 1857 ई. के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के कारण बताइये।
  101. प्रश्न- सन् 1858 से लेकर सन् 1918 तक अंग्रेजों के अधीन भारतीय सेना के संगठन तथा विकास का वर्णन कीजिए।
  102. प्रश्न- स्वतंत्रता पश्चात् सशस्त्र सेनाओं के भारतीयकरण का वर्णन कीजिए।
  103. प्रश्न- सेना के भारतीयकरण में मोतीलाल नेहरु की रिपोर्ट का मूल्यांकन कीजिए।
  104. प्रश्न- 1939-45 के मध्य भारतीय सशस्त्र सेनाओं के विस्तार और भारतीयकरण का परिचय दीजिए।
  105. प्रश्न- भारतीय नभ शक्ति की विशेषताओं तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
  106. प्रश्न- भारतीय कवचयुक्त सेना पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
  107. प्रश्न- आधुनिक भारत में सैन्य संगठन की रचना एवं तत्वों का निरूपण कीजिए।
  108. प्रश्न- भारतीय थल सेना के अंगों का विस्तृत विवरण दीजिए।
  109. प्रश्न- भारत के लिए एक शक्तिशाली नौसेना क्यों आवश्यक है? नौसेना के युद्ध कालीन कार्य बताइए।
  110. प्रश्न- भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के सैन्य संगठन पर प्रकाश डालिए।
  111. प्रश्न- लार्ड क्लाइव ने सेना में क्या-क्या सुधार किये?
  112. प्रश्न- लार्ड कार्नवालिस के सैन्य सुधारों पर प्रकाश डालिए।
  113. प्रश्न- कमाण्डर-इन-चीफ लार्ड रॉलिन्सन ने क्या सुधार किये?
  114. प्रश्न- कम्पनी सेना की स्थापना के क्या कारण थे?
  115. प्रश्न- प्रेसीडेन्सी सेनाओं के विकास का वर्णन कीजिये।
  116. प्रश्न- क्राउनकालीन भारतीय सेना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  117. प्रश्न- ब्रिटिशकालीन भारतीय सेना को किन कारणों से राष्ट्रीय सेना नहीं कहा जा सकता?
  118. प्रश्न- भारतीय मिसाइल कार्यक्रम पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  119. प्रश्न- ब्रह्मोस क्या है?
  120. प्रश्न- भारत की नाभिकीय नीति का संक्षेप में विवेचन कीजिये।
  121. प्रश्न- भारत ने व्यापक परीक्षण प्रतिबन्ध सन्धि (CTBT) पर हस्ताक्षर क्यों नहीं किया है?
  122. प्रश्न- पोखरन-II परीक्षणों में भारत ने किस प्रकार के अस्त्रों की क्षमता का परिचय दिया था?
  123. प्रश्न- भारत की प्रतिरक्षात्मक तैयारी का मूल्याँकन कीजिए।
  124. प्रश्न- भारत की स्थल सेना के कमाण्ड्स के नाम व उनके मुख्यालय लिखिए।
  125. प्रश्न- भारतीय वायु सेना के कार्यों को स्पष्ट कीजिए।
  126. प्रश्न- भारतीय वायु सेना के संगठन पर प्रकाश डालिए।
  127. प्रश्न- भारतीय वायुसेना के कमाण्ड्स के नाम व उनके मुख्यालय लिखिए।
  128. प्रश्न- भारतीय वायुसेना पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  129. प्रश्न- भारतीय स्थल सेना की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  130. प्रश्न- वायुसेना का महत्व समझाइये।
  131. प्रश्न- भारत की स्थल सेना के कमाण्ड्स के नाम व उनके मुख्यालय लिखिए।
  132. प्रश्न- प्रथम भारत-पाक युद्ध या कश्मीर युद्ध (1947-48) का वर्णन कीजिए।
  133. प्रश्न- स्वतन्त्रता के पश्चात् भारतीय सेनाओं द्वारा लड़े गये युद्धों का विवरण दीजिए।
  134. प्रश्न- 1948 के भारत-पाक युद्ध में स्थल सेना की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  135. प्रश्न- कश्मीर विवाद 1948 में सैन्य कार्यवाही के कारणों का उल्लेख कीजिए।
  136. प्रश्न- 1948 का युद्ध भारत पर अचानक आक्रमण था। कैसे?
  137. प्रश्न- कश्मीर सैन्य कार्यवाही, 1948 के राजनैतिक परिणाम क्या थे? वर्णन कीजिए।
  138. प्रश्न- "भारतीय उपमहाद्वीप में शान्ति भारत-पाक सम्बन्धों पर अवलम्बित है।" इस कथन का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए
  139. प्रश्न- भारत-पाक युद्ध 1948 में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका।
  140. प्रश्न- 1962 में चीन के विरुद्ध भारत की सैनिक असफलताओं के कारण बताइए।
  141. प्रश्न- 1948 तथा 1962 के युद्धों में प्रयुक्त समरनीति का तुलनात्मक विश्लेषण कीजिए।
  142. प्रश्न- भारत के सन्दर्भ में तिब्बत की सुरक्षा पर प्रकाश डालिए।
  143. प्रश्न- भारत-चीन युद्ध 1962 में वायुसेना की भूमिका का वर्णन कीजिए।
  144. प्रश्न- भारत-चीन संघर्ष, 1962 ने भारतीय सेना की कमजोरियों को उजागर किया। समीक्षा कीजिए।
  145. प्रश्न- नदी बाहुल्य क्षेत्र में वायुसेना की महत्ता समझाइये।
  146. प्रश्न- "भारत में रक्षा अनुसंधान एवं रेखास संगठन की भूमिका' पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  147. प्रश्न- 1965 में भारत और पाकिस्तान के मध्य हुए युद्ध का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  148. प्रश्न- 1965 के भारत-पाक संघर्ष के प्रमुख कारणों को आंकलित कीजिए।
  149. प्रश्न- 1965 के कच्छ के विवाद पर प्रकाश डालिए।
  150. प्रश्न- ताशकन्द समझौता क्यों हुआ? स्पष्ट कीजिये।
  151. प्रश्न- मरुस्थल के युद्ध की समस्याएँ लिखिए।
  152. प्रश्न- कच्छ के रन का रेखाचित्र बनाइये।
  153. प्रश्न- कच्छ के रण का महत्व समझाइये।
  154. प्रश्न- ताशकन्द समझौते के मुख्य प्रस्तावों पर प्रकाश डालिये।
  155. प्रश्न- कच्छ सैन्य अभियान पर प्रकाश डालिए।
  156. प्रश्न- भारत-पाक युद्ध 1971 का वर्णन कीजिए तथा युद्ध के कारणों पर प्रकाश डालिए।
  157. प्रश्न- 1971 के युद्ध में जैसोर तथा ढाका की घेराबन्दी अभियान तथा ढाका के आत्मसमर्पण का वर्णन कीजिए।
  158. प्रश्न- भारत के लिए कारगिल क्यों महत्वपूर्ण है?
  159. प्रश्न- कारगिल युद्ध 1999 की उत्पत्ति पर प्रकाश डालिए।
  160. प्रश्न- कारगिल युद्ध 1999 में भारतीय वायुसेना की आक्रामक कार्यवाही का मूल्याँकन कीजिए।
  161. प्रश्न- कारगिल संघर्ष 1999 के कारणों का वर्णन कीजिए।
  162. प्रश्न- कारगिल युद्ध के पीछे पाकिस्तान की मंशा पर प्रकाश डालिए।
  163. प्रश्न- कारगिल युद्ध (1999) के समय भारतीय सेनाओं के समक्ष आई समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
  164. प्रश्न- कारगिल युद्ध 1999 में भारतीय वायुसेना की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  165. 1 - वैदिक एवं महाकाव्यकालीन सैन्य व्यवस्था (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  166. उत्तरमाला
  167. 2 - झेलम संग्राम - 326 ई. पू. (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  168. उत्तरमाला
  169. 3- कौटिल्य का युद्ध दर्शन (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  170. उत्तरमाला
  171. 4 - तुर्क एवं राजपूत सैन्य पद्धति : तराइन का युद्ध (1192 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  172. उत्तरमाला
  173. 5- सैन्य संगठन एवं सल्तनत काल की सैन्य पद्धति (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  174. उत्तरमाला
  175. 6 - मुगल सैन्य पद्धति : पानीपत का प्रथम संग्राम (1526 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  176. उत्तरमाला
  177. 7- राजपूत सैन्य संगठन, शस्त्र प्रणाली एवं खानवा का संग्राम (1527 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  178. उत्तरमाला
  179. 8- मराठा सैन्य पद्धति एवं पानीपत का तीसरा युद्ध (1761 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्नऋ
  180. उत्तरमाला
  181. 9 - सिक्ख सैन्य प्रणाली एवं सोबरांव का युद्ध (1846 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  182. उत्तरमाला
  183. 10 - ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सैन्य पद्धति, 1858-1947 ईस्वी तक (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  184. उत्तरमाला
  185. 11- प्रथम भारत पाक युद्ध (1947-48) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  186. उत्तरमाला
  187. 12 - भारत-चीन युद्ध 1962 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  188. उत्तरमाला
  189. 13 - भारत-पाकिस्तान युद्ध - 1985 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  190. उत्तरमाला
  191. 14- बांग्लादेश की स्वतन्त्रता - 1971 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  192. उत्तरमाला
  193. 15 - कारगिल संघर्ष - 1999 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  194. उत्तरमाला

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